मेरे अंदर अपनी कमियों, बुराइयों और गलतियों को स्वीकार करने का गुण है जो बहुत से लोगों में नहीं होता।
मैं अपनी प्रशंसा नहीं कर रहा, सत्य बोल रहा हूँ। यही कारण है कि मैं अधिकतर विनम्र रहता हूँ।
मेरे पिताजी ने मुझे सिखाया है कि- “बेटा, संसार का सबसे कठिन कार्य है स्वंय के अवगुणों को स्वीकार करना एवं क्षमा माँगना। इसीलिए जब भी कोई गलती करो, तुरंत पश्चाताप कर लो,मन को शांति बनी मिलेगी”।
झूठ बोलकर एक अच्छी छवि बनाकर रहने से अच्छा है सत्य बोलकर निंदित होकर रहा जाए।
सीधे शब्दो मे कहू तो मेरा नजरिया ही मुझे सबसे अलग करता है क्योंकि मैं हमेशा अलग ही सोचता हूं कि हम कैसे समाज के लिए कुछ नया कर सकता हूँ जो आने वाली पीढ़ियों के लिए ठीक हो ।
©श्री राम
0 Comments